PCCF विनोद सिंघल को हाईकोर्ट की फटकार। DFO पर कार्यवाही के निर्देश
- हाईकोर्ट ने PCCF विनोद सिंघल को लगाई फटकार
- डेप्युटी रेंजरों को रेंज चार्ज देने वाले DFO/उच्च अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के दिए सख्त निर्देश
- ऐसा नही करने पर 15 जून को पुनः PCCF को व्यक्तिगत पेशी के लिए बुलाया
नैनीताल। वन क्षेत्राधिकारी संघ उत्तराखंड द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायाधीश आलोक वर्मा के खंडपीठ में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए PCCF विनोद सिंघल को फटकार लगाई है।
गौरतलब है कि, पूर्व में, दिसंबर में, संघ की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि, डेप्युटी रेंजरों को रेंज का चार्ज दिया जा रहा है और रेंज अधिकारियों को रेंज चार्ज से वंचित किया जा रहा है।
इस मामले में पूर्व में उच्च न्यायालय की खंडपीठ पहले ही कह चुकी है कि डेप्युटी रेंजरों को रेंज का चार्ज नहीं दिया जा सकता और रेंज चार्ज देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए। परंतु वन विभाग द्वारा ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया।
जवाब देने का समय मिलने के बावजूद, जब विभाग ने कोई जवाब नहीं पेश किया, तब न्यायालय ने PCCF विनोद सिंघल को व्यक्तिगत पेशी के लिए इससे पहले 23 मार्च को कोर्ट बुलाया था।
मार्च में कोर्ट में पेश हुए विनोद सिंघल ने कहा था की दो डेप्युटी रेंजर अभी भी रेंज का चार्ज लिए बैठे हैं। उन्होंने अपने शपथपत्र में कहा था कि एक को चार्ज माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में दिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी की ओर से माननीय उच्च न्यायालय का वह आदेश कोर्ट को दिखाया गया था, जिसमें यह स्पष्ट था कि, उच्च न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि उस डेप्युटी रेंजर को रेंज चार्ज दिया जाए। इस पर, विनोद सिंघल ने भी अपनी गलती मानी थी और न्यायालय से माफी भी मांगी थी।
आज पुनः पेश हुए सिंघल से जब माननीय उच्च न्यायालय ने पूछा की उनके द्वारा उन अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई है जिन्होंने डेप्युटी रेंज ऑफिसर को रेंज ऑफिसर के पद का चार्ज दिया है, तो उनके द्वारा अवगत कराया गया कि, 2017 से वह PCCF नही हैं बल्कि वह PCCF 2022 में ही बने हैं और 23 मार्च के कोर्ट के आर्डर के बाद उन्होंने ऐसे अफसरों को चिन्हित करने के लिए एक समिति बनाई है।
इस पर माननीय उच्च न्यायालय ने सिंघल से पूछा की वह एक स्पष्ट समय सीमा बताएं जब वह समिति की कार्यवाही कोर्ट में दाखिल कर पाएंगे। इस पर सिंघल बोले कि वह दो सप्ताह में समिति की कार्यवाही को पूरी कर लेंगे। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि उनके आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
पूरे मामले पर एक गंभीर शपथपत्र दाखिल करने की नसीहत कोर्ट ने PCCF विनोद सिंघल को दी। कोर्ट ने कहा कि अगर तीन सप्ताह में PCCF द्वारा आदेशों का अनुपालन नहीं किया जाता तो कोर्ट में उनको पुनः व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।
याचिकाकर्ता से भी अगली तिथि तक प्रति शपथपत्र पेश करने के लिए आदेश किया गया और मामले को 15 जून के लिए चिन्हित किया गया है।