व्यासी जलविद्युत परियोजना की चूक किसानों पर पड़ी भारी। खेती को लेकर चिंतित किसान
व्यासी जलविद्युत परियोजना के डैम साइट में एकत्रित हो रहे यमुना के पानी के चलते आजादी से पूर्व अंग्रेजों द्वारा निर्मित कटापत्थर सिंचाई नहर को पानी नहीं मिल पा रहा है। इस सिंचाई नहर को विकासनगर क्षेत्र की हजारों हेक्टेयर भूमि की लाइफ़ लाइन कहा जाता है।
यमुना नदी में व्यासी परियोजना के चलते आज की तारीख में यमुना की धारा पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। व्यासी परियोजना के डैम से दो चार घंटे के लिये ही नदी में पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके चलते कटापत्थर सिंचाई नहर को नदी से पानी नहीं मिल पा रहा है।
वर्तमान में विकासनगर क्षेत्र कि हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचाई से वंचित हो रही है। किसान आगामी दिनों में लगाई जाने वाली धान की फसल को लेकर चिंतित हैं। बहरहाल कृषि क्षेत्र में आये इस बड़े संकट का कोई समाधान नहीं दिख रहा है।
विधायक मुन्ना चौहान से लेकर तमाम संबंधित अधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था के लिये हाथ पैर चला रहे हैं, लेकिन कोई विकल्प नहीं निकल पा रहा है। माना जा सकता है कि, व्यासी जलविद्युत परियोजना को लेकर ये एक बड़ी चूक हुई है। समय रहते इस और किसी ने कोई ध्यान ही नहीं दिया जिसके चलते अबेक बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
कटा पत्थर नहर:
पश्चिमी क्षेत्रों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 1840 में इस नहर का निर्माण शुरू हुआ, जो 1854 में बनकर तैयार हुई। 26 किमी लंबी इस नहर से कटा पत्थर, पिरथीपुर, लाखनवाला, फतेहपुर, तेलपुरा, ढकरानी, बादामावाला, भोजावाला आदि तमाम क्षेत्रों को पानी उपलब्ध करवाया जाता है।