कोटद्वार में खनन माफियाओं की पौ बारह। जमकर हो रहा अवैध खनन, जनता की बनी मुसीबत
प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री की विधानसभा कोटद्वार में खनन का कारोबार जोरों पर है। खनन माफियाओं और अधिकारियों की चांदी-चांदी हो रही है। वहीं लैंसडाउन के डीएफओ और कोटद्वार के रेंजर इन दिनों लापता चल रहे है। डीएफओ और रेंजर के लापता होने से खनन माफियाओं के दोनों हाथों में लड्डू और सिर कढ़ाई में है।
बता दें कि, कोटद्वार में इन दिनों खोह नदी, मालन नदी, सुखरो नदी, तेली स्रोत नई बस्ती व सिगड़ी स्रोत में दिन रात जमकर अवैध खनन का खेल खेला जा रहा हैं। वही दूसरी ओर रीवर ट्रेनिंग के नाम पर खनन कारोबारी खुलेआम अवैध खनन कर रहे है।
रीवर ट्रेनिंग की आड़ में का खनन कारोबारी रिजर्व फॉरेस्ट में जमकर खनन कर रहे है, मगर वन विभाग के जिम्मेदार विभाग के अधिकारी लापता हो रखे है।
जनता ने प्रशासन से इन अधिकारियों की खोजबीन की अपील की है, ताकि कोटद्वार में चल रहे अवैध खनन पर काबू पाया जा सके, यही दूसरी ओर खनन माफियाओं पर हाथ डालने से प्रशासन के हाथ पांव फूल रहें है।
वहीं दूसरी ओर खनन माफियाओं ने रेत के अवैध भंडारण का बड़ा कारोबार तैयार कर रखा है। कोटद्वार क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा ठीहों पर रेत का अवैध भंडारण है। प्रशासन व वन विभाग की मिलीभगत के चलते दिनरात नदियों में खनन हो रहा है।
खनन के बाद वैध और अवैध भंडारण पर रेत, बजरी मित्तिव पत्थर डंप किए जा रहै है। खनन माफियाओं ने बड़ी मात्रा में खनन सामग्री का डंप तैयार कर रखा है। प्रशासन व वन विभाग के अफसरों की सांठ-गांठ के चलते बड़े वाहनों से दिन रात यहां से रेत सप्लाई हो रही है।
अब सबसे बड़ा सवाल है कि, वन मंत्री की विधानसभा में इनता बड़ा खनन का खेल खेला जा रहा है, आखिर मंत्री जी चुपी क्यों सादे हुए है? आखिर किसने डीएफओ और रेंजर की आंखों में लोहे का चश्मा लगा दिया है।
इस तरह खेल और जनता पर बड़ा असर
अवैध खनन से जहां नदियां छलनी हो रही है, वहीं दूसरी ओर आमजनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। खनन में लगें वाहनों से आमजनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।
खनन माफिया नदियों के नजदीक भंडारण की अनुमति लेकर रखे हैं। यहां रेत में अवैध खनन के बाद रेत डंप कर वैध बना लिया जाता है, फिर यहीं से सप्लाई हो जाती है।
कोटद्वार में सात जगह रेत भंडारण की अनुमति
1. खूनीबड़- गौरभ अग्रवाल, 50 टन,1.288 हेक्टेयर
2. नन्दपुर मोटाढांग- सुनील डोंगरा,13860 टन,0.224 हेक्टे
3. स्नेह मल्ली- सीमा सजवाण,21450 टन,0.325 हेक्ट
4. पदमपुर मोटाढाक- सीमा सजवाण,13200 टन,0.200हेक्ट
5. काशीरामपुर- में सिद्धबली इंटरप्राइजेज, 3600 टन,0.056हेक्ट
6. लछमपुर हलदुखाता- अंकित अग्रवाल,25000 टन,0.583हेक्ट
7. जीवानंद पुर मोटाढाक- सूरज डोभाल,25872 टन,0.174
यहां माफियाओं का अवैध भंडारण
शहर से सटे भाबर क्षेत्र के हलदुखाता, मेडिकल कॉलेज भूमि के नजदीक, सिगड़ी, झंडी चोड, मोटढांक, शिवराजपुर, किशनपुरी, सतीचोड़, काशी रामपुर, स्नेह आदि जगहों में बड़े स्तर पर रेत का भंडारण है। खनन कारोबारियों की कंपनी के नाम से भंडारण है, लेकिन कोई जांच न होने से यहां पर बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हो रही हैं।
वहीं जब इस संबंध में जिलाधिकारी पौड़ी विजय कुमार जोगदंडे से बात की गई तो जिलाधिकारी ने कहा, ज़िले में हो रहे अवैध खनन पर कार्यवाही की जा रही है, कोटद्वार के तेली स्रोत में मानकों की विपरीत हो रहें खनन पर जल्द से जल्द कार्यवाही की जायेगी।
“हमने कई बार खनन माफियाओं के खिलाफ धरना दे दिया है, कई बार मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत की गई, मगर सरकार के कान पर जूँ तक नही रेंगी। इनको केवल पैसा ही दिख रहा है। अगर सरकार खनन नीति में जल्द ही कोई ठोस कदम नही उठाती तो विकास नही विनाश होना तय है।- सुरेंद्र सिंह नेगी, पूर्व कैबिनेट मंत्री