समाज कल्याण विभाग के अधिकारी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का साफ इनकार
समाज कल्याण विभाग के अधिकारी कांति राम जोशी की गिरफ्तारी पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुए। जिसपर हाईकोर्ट ने एक बार फिर कांतिराम की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से साफ इनकार दिया है।
कांति राम जोशी द्वारा अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई थी। कांति राम जोशी के खिलाफ विभागीय जांच में अनुसूचित जाति के लोगों को आवंटित दुकानें घोटाला करके अपात्र लोगों को आवंटित करने का आरोप सिद्ध हुआ है।
तत्कालीन जिलाधिकारी देहरादून द्वारा जांच के बाद शासन के आदेश से कांति राम जोशी के विरुद्ध थाना डालनवाला में एक नामजद मुकदमा वर्ष 2019 में धारा 409, 420, 467, 166, 166(a), 477(a) तथा भ्रष्टाचार की धारा 13 (1)d एवं धारा 3(2) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हुआ है।
इसकी विवेचना शासन की अनुमति से सीओ डालनवाला जूही मनराल द्वारा की जा रही है। इसी मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए कांति राम जोशी हाईकोर्ट गए थे, लेकिन हाईकोर्ट में इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया।
इससे पहले भी वर्ष 2019 मे जस्टिस लोकपाल द्वारा कांति राम जोशी की गिरफ्तारी पर स्टे देने से मना कर दिया गया था। हालांकि पुलिस ने गिरफ्तारी पर स्टे न होने के बावजूद दो साल बाद भी कांति राम जोशी की ऊंची पहुंच के चलते इनको अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है।
आज भी सुनवाई के बाद जस्टिस आर सी खुल्बे की कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। देखने वाली बात यह होगी कि, पुलिस अधिकारी द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है! जीरो टॉलरेंस की वर्तमान भाजपा सरकार में ऐसे दर्जनों मामले हैं, जहां पर गिरफ्तारी की धाराएं ना होने पर भी अभियुक्तों को जबरन जेल में ठूंस दिया जाता है।
वहीं गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने तथा हाईकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी पर दो-दो बार स्टे देने से इनकार करने के बावजूद इस तरह के अधिकारी खुलेआम घूम रहे हैं।
हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस से सुनवाई के लिए नियत तिथि 18 सितंबर से पहले प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश जारी किए हैं।
विवेचना अधिकारी सीओ डालनवाला जूही मनराल ने कहा कि, “इस मामले में विवेचना जारी हैं, विवेचना पूरी होने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।”