कहीं अस्पताल तो कहीं सड़कों का अभाव, घायल महिला को डंडी के सहारे बमुश्किल पहुंचाया अस्पताल
रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से आए दिन अनेक तस्वीर सामने आती है। लेकिन आज सरकार को आईना दिखाने वाली तस्वीर उस तुनेडा गांव की महिला की है, जो अपने गांव की महिला को डंडी के सहारे अस्पताल तक पहुंचाया।
गौरतलब है कि, प्रदेश के 21 सालों में 11 मुख्यमंत्री जरूर बदले होंगे मगर आज भी पहाड़ो की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों को आज भी सड़क सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ताजा मामला विकासखण्ड नारायणबगड़ के ग्राम पंचायत तुनेडा को आज भी सड़क सुविधा का लाभ नही मिल पाया है। सोमवार को एक महिला सुबह जंगल मे घास लेने गई थी।
घास काटने के दौरान महिला जंगल मे फिसल गई। जिससे कि, उसके पैर की हड्डी टूट गई। फोन पर सूचना मिलने पर ग्रामीणों के द्वारा डंडी के सहारे गाँव के महिला पुरुषों ने 15 किमी पैदल चलकर महिला को चिकित्सालय पहुंचाया।
ग्राम प्रधान सुनीता देवी, सामाजिक कार्यकर्ता मोहन सिंह रावत व सागर कोठियाल ने बताया कि, गांव में सड़क ना होने से गांव से धीरे-धीरे पलायन हो रहा है। ऐसे में पुरषों के साथ महिलाएं भी बीमार को कंधों के सहारे ले जाती है।
आपको बता दे कि, फारकोट-तुनेडा को किमी 5 की सैद्धान्तिक स्वीकृति 2018 में मिल चुकी है। लेकिन अभी भी सड़क का लाभ ग्रमीणों को नही मिल पाया है।
वहीं तूनेडा की ग्राम प्रधान सुनीता देवी की कहना है कि, इस गांव में अभी तक सड़क न पहुंचने से यहां के ग्रामीणों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सरकार से लेकर क्षेत्रीय विधायक मुन्नी देवी शाह को लगातार पत्राचार करने के बावजूद भी तुनेडा गांव सड़क मार्ग से वंचित है।
सरकार एवं सिस्टम की नाकामी के चलते यहां से लगातार पलायन भी हो रहा है। जो लोग इस गांव में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। उनको भी आप आए दिन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। सड़क मार्ग से वंचित होने के चलते बीमार लोगों को 15 किलोमीटर पैदल डंडी और कंडी के सहारे कंधों पर ले जाना पड़ता है। लेकिन सरकार उनके गांव को सड़क मार्ग से नहीं जोड़ रही है।