संत ने उठाया लावारिस अस्थियों के विसर्जन का बीड़ा। माँ गंगा में विसर्जित की 400 अस्थियां
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। हिंदू सनातन परंपरा में अंतिम संस्कार के बाद जब तक अस्थियों को मां गंगा में विसर्जित नहीं किया जाता तब तक मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। धर्मनगरी हरिद्वार में आज करीब 400 लोगो की लावारिस अस्थियों का एक साथ विसर्जन किया गया। कोरोना से मौत होने के बाद लोगो के परिजन दिल्ली के विभिन्न शमशान घाटों पर ही अस्थियों को लवारिस छोड़ गए थे।
स्वामी राजेश्वरानंद का कहना है कि, आज के समय में मानवता तार-तार हो चुकी है, अपने ही अपनो की अस्थियों को लावारिस छोड़े जा रहे है। जबकि ऐसा कुछ नही है किसी को भी कोरोना मृतक अस्थियों से भयभीत नही होना चाहिए। लोगो में भय खत्म करने के लिए ही उन्होंने लावारिस अस्थियों को माँ गँगा में विसर्जित करने का बीड़ा उठाया है और उनका ये प्रयास निरंतर जारी रहेगा।
दिल्ली स्थित राजमाता झंडेवाला मंदिर के प्रमुख स्वामी राजेश्वरानंद ने शमसान घाटों से इन अस्थियों को इक्कट्ठा किया और पूरे विधि विधान से हरिद्वार के सती घाट पर माँ गंगा में विसर्जित किया। स्वामी राजेश्वरानंद कोरोना काल में अब तक लगभग 1000 लोगो की लावारिस अस्थियों का विसर्जन कर चुके है और ये काम करते हुए स्वयं एक बार कोरोना से भी पीड़ित हो चुके है।