हरिद्वार जिले में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सुविधा, सरकार के दावों की खुली पोल
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार जिले में कोरोना का प्रकोप लगातार पड़ रहा है, शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव की संख्या बढ़ रही है। कई गंभीर मरीजों की वेंटिलेटर ना मिलने के कारण मौतें भी हुई है, सरकारी स्वास्थ्य सुविधा लचर अवस्था में है। इसी को देखते हुए रुड़की और हरिद्वार में धूल फांक रहे वेंटिलेटर को जिला प्रशासन द्वारा प्राइवेट हॉस्पिटलों को संचालित करने के लिए दिए गए हैं। साथ ही सरकारी हॉस्पिटलों में वेंटिलटर को संचालित करने के लिए स्वास्थ्य टीम को भी परीक्षण दिलवाया जा रहा है। क्योंकि सरकारी हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर को चलाने के लिए स्टाफ की कमी देखने को मिल रही थी।
हरिद्वार जिले में सरकारी हॉस्पिटलों में स्टाफ की कमी के चलते करोड़ों की लागत के वेंटिलेटर धूल फांक रहे थे, रुड़की के सरकारी हॉस्पिटल में आईसीयू ना बनने के कारण पीएम केयरफर्स्ट से आए 14 वेंटीलेटर कई सालों से कमरे में बंद किए हुए थे, तो वही हरिद्वार के मेला अस्पताल में भी 34 वेंटिलेटर की यही स्थिति देखने को मिली थी। कोरोना महामारी में मरीजों को वेंटिलेटर की काफी जरूरत पड़ रही थी, मगर उनको वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहे थे। अब हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा धूल फांक रहे वेंटिलेटर प्राइवेट हॉस्पिटलों को दिया है। साथ ही सरकारी हॉस्पिटलों में स्टाफ को भी वेंटिलेटर चलाने की ट्रेनिंग श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के टेक्निकल टीम से दिलवाई जा रही है।
हरिद्वार जिलाधिकारी सी रवि शंकर का कहना है कि, सरकारी हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर को चलाने में स्टाफ की कमी थी, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की टीम हरिद्वार आई है। उनके द्वारा स्वास्थ्य कर्मचारियों को वेंटिलेटर चलाने की ट्रेनिंग दिलवाई जा रही है, तब तक के लिए हमारे द्वारा रुड़की और हरिद्वार में रखे वेंटीलटर को प्राइवेट हॉस्पिटलों को दिया गया है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्राइवेट हॉस्पिटलों से वेंटिलेटर को वापस लिया जाएगा।
लचर सरकारी स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी हरिद्वार सीएमओ के कंधे पर है, मगर उनके द्वारा भी स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और कई सालों तक वेंटिलेटर बंद कमरों में ही धूल फांक रहे है। इसी कारण हरिद्वार जिले में वेंटिलेटर ना मिलने से काफी लोगों ने अपनी जान गवाई है।
हरिद्वार सीएमओ शंभू नाथ झा का कहना है कि, वेंटिलेटर की परेशानी को खत्म करने के लिए हमारे द्वारा प्राइवेट हॉस्पिटलों को वेंटिलेटर दिए गए हैं, जिनके पास वेंटिलेटर चलाने का स्टाफ है इससे लोगों को काफी राहत भी मिली है। क्योंकि अभी सरकारी हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर को चलाने वाले स्टाफ की कमी है और इस कमी को दूर करने के लिए श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से टीम आई है, जो वेंटिलेटर चलाने की ट्रेनिंग दे रही है। बाकी बचे वेंटिलटर को भी जरूरत पड़ने पर प्राइवेट हॉस्पिटल को दिए जाएंगे। जब सरकारी हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर चलाने की स्टाफ की कमी दूर हो जाएगी तब हम उनसे वापस वेंटिलेटर को लेगे। इनका कहना है कि, रुड़की के सरकारी अस्पताल में आईसीयू तैयार ना होने के कारण 10 वेंटिलेटर हरिद्वार में प्राइवेट हॉस्पिटल को दिए गए हैं और 4 वेंटिलटर देहरादून के अस्पताल को दिए हैं, मेला अस्पताल से भी हमारे द्वारा कुछ प्राइवेट हॉस्पिटलों को वेंटिलेटर दिए गए हैं। अभी भी हमारे पास कुछ वेंटिलेटर है, जरूरत पड़ने पर उनको भी प्राइवेट हॉस्पिटलों को दिया जाएगा।
गौरतलब है कि, सरकार द्वारा लाख दावे किए जाते हैं, इस सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए उनके द्वारा कार्य किए जा रहे हैं। मगर कोरोना काल में सरकार के दावों की हवा निकाल कर रख दी है। क्योंकि करोड़ों की कीमत से खरीदे गए वेंटिलेटर कई सालों से रुड़की और हरिद्वार में धूल फांक रहे थे और उनको चलाने के लिए सरकारी हॉस्पिटलों में स्टाफ भी नहीं था, वेंटिलेटर के कारण लगातार हो रही मौतों को रोकने के लिए अब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेंटिलेटर को प्राइवेट हॉस्पिटलों को दिया गया है। जिनसे लोगों की जान बच सके, मगर सवाल यही खड़ा होता है कि, सरकारी स्वास्थ्य सुविधा इतनी लचर क्यों है कि, सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर चलाने के लिए स्टाफ की भी कमी है।