किन्नर अखाड़ा कुंभ में बना आकर्षण का केंद्र। अखाड़े के साथ जुड़े कई विवाद
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कोरोना महामारी के कारण फ्लॉप होते हरिद्वार महाकुंभ में जान फूंक रहे किन्नर अखाडें का विवादों से नाता खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ किन्नर अखाड़ा के साधु-संतों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ किन्नर अखाड़े के ऊपर ही कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप भी लग रहे हैं। किन्नर अखाड़ा और किन्नर अखाडें की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर हिमांगी सखी जो अपने आप को किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बताती है उनके द्वारा आरोप लगाया गया कि, 14 अखाडें बनाने की जरूरत नहीं है और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सिर्फ अपना ही प्रचार कर रही है, तो वहीं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि, आरोप लगाने वाली हिमांगी सखी किन्नर है या नहीं इसका भी प्रमाण नहीं है।
हरिद्वार कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में भी विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। जब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने किन्नर अखाडें का विरोध किया था। मगर किन्नर अखाड़ा के समर्थन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरी गिरी खुलकर सामने आए थे और उनके द्वारा पद को त्याग देने की भी बात की गई थी और उसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महंत हरी गिरी के सामने झुक गया था और किन्नर अखाडें ने जूना अखाड़े के साथ ही अपनी धर्म ध्वजा और पेशवाई के साथ ही शाही स्नान भी किया था। अब एक किन्नर हिमांगी सखी द्वारा किन्नर अखाड़े पर ही सवाल खड़े किए गए हैं। हिमांगी सखी का कहना है कि, आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा जितने अखाड़े स्थापित किए गए हैं, उसमें हम परिवर्तन नहीं कर सकते। हमें सनातन परंपरा के अनुसार ही अपना जीवन यापन करना चाहिए। संतो के चरणों में रहकर अपने धर्म का प्रचार करना चाहिए ना कि, हमें अपना प्रचार करना चाहिए। इनका कहना है कि, किन्नर अखाड़ा नहीं बना सकता और इसका इस्तेमाल करना भी गलत है।
वही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने भी हिमानी सखी पर करारा वार करते हुए कहा कि, किन्नर अखाडें से ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जुड़ा है जो किन्नर अखाड़ा के ऊपर सवाल खड़े करें। जिसके द्वारा किन्नर अखाड़े पर आरोप लगाए जा रहे हैं, वह अपने आप को कभी किन्नर अखाड़ा से जुड़ा बताती है और कभी सखी परंपरा से अगर वह सख परंपरा से भी है तो उसका प्रमाण दें। किन्नर अखाड़ा को कई मामले में घेरने का कार्य किया जा रहा है। हमारे द्वारा हमेशा कहा जाता है कि, किन्नर अखाड़ा था और हमेशा रहेगा और इसका अधिकार हमें तो 2014 में मिला था। जब हम भारतीय बने थे, 2015 में किन्नर अखाड़ा का गठन किया गया था। उसके बाद 2019 में किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ अनुबंध में आया। किन्नर अखाड़ा अपने आपको 14 वां अखाड़ा नहीं कहता, किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ है। सन्यासी और बैरागियों के अपने अलग अखाड़े हैं।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि, किन्नर अखाड़ा सनातन परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। मगर हमें हमेशा टारगेट क्यों बनाया जाता है? किन्नर अखाड़े ने आखिर किसी का क्या बिगाड़ा है? 12 और 14 का शाही स्नान आने वाला है, हम कोई गलत संदेश नहीं देना चाहते और हम किसी की धमकियों से डरते भी नहीं है। क्योंकि हमने अपना हक सर्वोच्च न्यायालय से पाया है और अगर इस तरह के और विवाद हो गए तो हम सर्वोच्च न्यायालय में एक बार फिर जाने को मजबूर हो जायेगे। इनके द्वारा आरोप लगाया गया कुछ लोग किन्नर अखाड़े को बदनाम करने का कार्य कर रहे हैं। इनका कहना है कि हिमानी सखी को किन्नर अखाड़ा द्वारा दीक्षित नहीं किया गया, वह किन्नर है या नहीं यह एक सवाल है।
कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े का विवादों से चोली दामन का साथ हो रहा है। मगर उसके बावजूद भी किन्नर अखाड़ा हरिद्वार कुंभ मेले में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र हो रहा है। क्योंकि भारी संख्या में किन्नर अखाड़े में श्रद्धालु किन्नर अखाड़ों के साधु संतों के दर्शन करने पहुंच रहे हैं और यह भी एक कारण हो सकता है कि, किन्नर अखाड़े की बढ़ती लोकप्रियता से कुछ लोग उनको नीचा दिखाने का कार्य कर रहे हैं और लगातार किन्नर अखाड़ा विवादों में आ रहा है।