देवस्थानम बोर्ड से जल्द अलग होंगे 51 मंदिर
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। विश्व हिंदू परिषद की धर्मनगरी हरिद्वार में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय मंत्रियों सहित बड़ी संख्या में साधु संतों ने भाग लिया। इस बैठक में देशभर में मठ मंदिरों को सरकार के अधीन किए जाने के विरोध में एक स्वर से प्रस्ताव पास किया गया और मांग की गई कि, देश भर में जितने भी मठ मंदिर है, उसे सरकार द्वारा अधिग्रहित ना किया जाए। बैठक में पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड पर बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि, देवस्थानम बोर्ड में शामिल 51 नए मंदिरो को बोर्ड से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने विहिप की बैठक में बोलते हुए संतो को आश्वासन दिया कि, देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार किया जाएगा और जल्द ही सरकार इस पर तीर्थ पुरोहितों और संतो के साथ बैठक कर गंभीरता से विचार किया जाएगा। चार धाम को लेकर आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परम्पराओं को जारी रखा जाएगा।
बैठक में बड़ी संख्या में साधु संत पहुंचे। महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश का कहना है कि, उत्तराखंड सरकार का देवस्थानम बोर्ड बनाना बहुत ही गलत निर्णय था। सरकार को इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में सभी साधु संतों ने इस कार्य की निंदा की है। केंद्र सरकार इस मामले पर कानून बनाकर पूरे देश में मंदिरों का अधिग्रहण बंद करें, यह हिंदुओं की स्वतंत्रता पर कब्जा है। किसी भी दल की सरकार इस कार्य को ना करें। वहीं इनके द्वारा मांग की गई है कि, राम मंदिर के साथ ही अब ज्ञान व्यापी श्री कृष्ण जन्म स्थान को लेकर साधु संत राम जन्मभूमि आंदोलन से ही श्री कृष्ण जन्मस्थान और काशी विश्वनाथ की मुक्ति की मांग करते रहे हैं। क्योंकि यह स्थान हिंदुओं के लिए सर्वोपरि है। हम सब भारत सरकार से मांग करते हैं कि, बिना किसी कानूनी बाधाओं के यह स्थान पूर्ण रूप से हिंदू समाज को सौंप दिया जाए। क्योंकि मुगल शासन में 30 हजार मंदिरों को तोड़ा गया, हम तो सिर्फ तीन ही मंदिरों की मांग कर रहे हैं। मुस्लिम समाज को सह सम्मान इसे वापस करना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि, आज की बैठक का मुख्य विषय था देश के कई प्रांतों में हमारे मंदिर को सरकार चलाती है और उस पर नियंत्रण भी सरकार का होता है। इससे हमारी परंपरा बिगड़ रही है। इसको लेकर हमने सरकार से मांग की है कि, वह हिंदू मंदिरों को अपने नियंत्रण से मुक्त करें और हिंदू समाज को सौंप दें। जैसे मस्जिद और गुरुद्वारे पर सरकार का कोई अधिकार नहीं होता। इनका कहना है कि, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आज बैठक में आए थे, हमारे द्वारा मांग की गई कि, उत्तराखंड सरकार द्वारा मंदिरों को अधीन करने का जो कानून बनाया गया वह सही नहीं है। साथ ही जो अलग से 51 मंदिर उसमें जोड़े है, वह भी सही नहीं थे। मुख्यमंत्री द्वारा 51 मंदिरों को इससे हटाने के लिए सहमति जताई है और उस कानून को बदलने के लिए एक बैठक की जाएगी इसकी भी सहमति उनके द्वारा हमें दी गई है।
साधु संतों को मुख्यमंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया कि, जल्द ही इस कानून को बदला जाएगा और इसके लिए साधु-संतों और तीर्थ पुरोहितों के साथ जल्द ही सरकार एक बैठक करेगी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कहना है कि, विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक बैठक में देवस्थानम बोर्ड को लेकर चर्चा की गई है। मेरे द्वारा आश्वासन दिया गया है। इसपर पूर्ण विचार किया जाएगा। साथ ही जो 51 मंदिर इसमें जोड़े गए थे, उसको इस बोर्ड से जल्द मुक्त कर दिया जाएगा।