महंत नरेंद्र गिरी का बड़ा बयान। कहा अखाड़ा परिषद भंग नहीं, बैरागी अखाड़ों की नाराजगी जायज
– भारत सरकार की एसओपी में नहीं, टेंट लगाने की कोई व्यवस्था मेला अधिकारी
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कुम्भ मेला हरिद्वार 2021 की व्यवस्थाएं दुरुस्त ना होने से नाराज़ और उत्तराखंड शासन द्वारा अपना तिरस्कार उपेक्षा झेल रहे। बैरागी सम्प्रदाय के तीनों अखाड़ो ने कल त्रस्त होकर दुखी मन से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बहिष्कार कर दिया था और अखाड़ा परिषद के भंग होने की बात कही थी, जिसके बाद आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के भंग होने का खंडन किया है और अखाड़ा परिषद के भंग होने की बात को भ्रामक प्रचार बताया है। वही महंत नरेंद गिरी ने तीनो बैरागी अखाड़ो में कुम्भ कार्यो को पूरा ना होने से उपजे आवेश को भी उचित बताया है। वही मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि, जल्द ही बैरागी अखाड़ों की व्यवस्था की जाएगी।
महंत नरेंद्र गिरी ने अखाड़ा परिषद के भंग होने का खंडन करते हुए कहा कि, तीनो बैरागी अखाड़ो के अखाड़ा परिषद से अलग होने की बात असत्य है। मेरी तीनो बैरागी सम्प्रदाय के अखाड़ो के श्री महंत से वार्ता हुई है। उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों द्वारा आवेश में आकर इस तरह की बात कही गई है और बैरागी तीनों अखाड़ो का आवेश सही भी है। तीनो अखाड़ो के लिए होने वाली व्यवस्थाओं को लेकर मुख्यमंत्री और मेलाधिकारी से कई बार चर्चा की गई। मगर अभी तक किसी कारण वश व्यवस्थाएं दुरुस्त नही की गई है। इसमे सरकार और मेलाधिकारी की क्या मंशा है। यह मुझे नही मालूम है। मगर बैरागी सम्प्रदाय हमार अभिन्न अंग है, जो कभी अलग नही हो सकता है। महंत नरेंद्र गिरी ने शासन और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि, सरकार ने निर्णय अकेले लिया है। कुम्भ मेला प्रशासन की मेले को आयोजित करने की या तो इच्छाशक्ति नही है या फिर सरकार चाहती है कि, कोरोना की आड़ में कुम्भ मेले आयोजित ना किया जाए।
महंत नरेंद्र गिरी का यह भी कहना है कि, अधिकारी खुद बैठक कर प्रस्ताव पारित कर रहे और इन प्रस्तावों को संतो पर थोपा जा रहा है। इस बारे में जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मेरी वार्ता हुई तो उनका भी कहना है कि, अधिकारियों को बैरागी अखाड़ो को सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध करने के निर्देश मेरे द्वारा दिये गए है। कोरोना काल मे सभी साधु संत सरकार के साथ खड़े है। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं, साधु संतों को सभी व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिकारी खुद बैठक कर कानून बता रहे कि, कुम्भ मे कथा नही होगी पंडाल नही लगेगा, भंडारा नही होगा तो कुम्भ मेले के आयोजन का क्या औचित्य बचता है। इसमे मुख्यमंत्री से हमारे द्वारा वार्ता की जाएगी।
नरेंद्र गिरी का कहना है कि, बैरागी संतो का आवेश और समस्या उचित है। अभी तक बरैगी सम्प्रदाय के लिए कोई व्यवस्थाएं हरिद्वार में नही की गई है। मेरा बैरागी संप्रदाय को पूरा समर्थन है। 22 तारीख में मैं हरिद्वार पहुंचूंगा वहां पहुंच कर अखाड़ा परिषद के बैठक बुलाई जाएगी और इस बैठक में कुम्भ मेले की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए एक सामूहिक निर्णय लिया जाएगा। संतो को नाराज़ कर कोई कार्य कुम्भ में नही किया जा सकता। मेरा अधिकारियों से भी अनुरोध है कि, भव्य दिव्य कुम्भ मेला आयोजित करने के लिए अधिकारी आत्मबल बनाये रखे, कुम्भ मेले के आयोजन से पहले सभी व्यवस्थाएं सही की जाएगी।
वही कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि, अखाड़ों को जो भी सुविधाएं दी जानी है और यह पारंपरिक रूप से अखाड़ों को दी जाती है। उसका मेरे द्वारा अखाड़ों से जानकारी ली गई है और मेरे द्वारा सभी मूलभूत सुविधाएं जल्द अखाड़ों को दी जाएगी। वही बैरागी अखाड़ों द्वारा टेंट लगाने को लेकर भी अपनी नाराजगी दर्ज कराई गई थी। इसको लेकर मेला अधिकारी का कहना है कि, भारत सरकार की एसओपी में टेंट ना लगाने की बात कही गई है। हमारे द्वारा इसका अनुपालन किया जाएगा। इनका कहना है कि, सभी अखाड़ों को उत्तराखंड सरकार द्वारा एक-एक करोड रुपए दिए गए है और वह उन्हीं को दिए जा रहे हैं, जिनकी अपनी संपत्ति हरिद्वार में है और यह पैसा स्थाई कार्यों में लगे बैरागी अखाड़ों द्वारा हमें अनुरोध पत्र मिला है कि, वह अभी जमीन हरिद्वार में नहीं खरीद सकते उसके लिए कुछ समय उन्हें चाहिए। मेरे द्वारा वह पत्र शासन को भेजा गया है और जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
बता दें कि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के भंग होने की चर्चाओं का आज अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने खंडन किया और बैरागी सम्प्रदाय के आवेश को भी नरेंद्र गिरी ने सही ठहराया है और बैरागी सम्प्रदाय का समर्थन किया है। वही महंत नरेंद्र गिरी ने अधिकारियों में कुम्भ मेले के आयोजन के लिए इच्छाशक्ति ना होने की बात भी कही है और अधिकारियों को आत्म बल बनाए रखने की हिदायत भी दी है, तो वही मेला अधिकारी ने जल्द बैरागी अखाड़ों में कार्य करने की बात कही। अब देखना होगा बैरागी अखाड़ों की नाराजगी को कैसे अखाड़ा परिषद और मेला प्रशासन दूर करता है।