मेला प्रशासन ने बगैर मरम्मत के कराई पुराने पुल की रंगाई-पुताई। श्रद्धालुओं की जान जोखिम में
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। 2010 के कुंभ में बिरला घाट स्थित ललतारा पुल पर एक बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गवाई थी। वह पुल आज जर्जर अवस्था में है। उसकी कई रेलिंग टूटी हुई है। मगर मेला प्रशासन द्वारा रेलिंग की मरम्मत कराने में सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है और साथ ही पुल के ऊपर बड़ी-बड़ी स्क्रीन भी लगाई गई है। मगर पुल की मजबूती केे लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। पुल पर कार्य कर रहेेे मजदूरों का भी कहना है कि, इतनी मरम्मत से पुल मजबूत नहीं हो सकता। तो वही मेला अधिकारी दीपक रावत रावत भी इस पुल को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं, मगर सिर्फ सुंदरता की तरफ ध्यान दिया जा रहा है, पुल की मजबूती पर नहीं।
बता दें कि, 2010 के कुंभ में जूना अखाड़े द्वारा किए जाने वाले शाही स्नान से पहले जूना अखाड़े के मंडलेश्वर पायलट बाबा अपनी गाड़ियों का काफिला लेकर इस पुल से गुजर रहे थे, तभी भारी भीड़ होने के कारण पुल पर भगदड़ मच गई और उस भगदड़ में कई लोगों ने अपनी जान गवाई थी, उसके बाद सुरक्षा को देखते हुए पुल के बराबर में ही एक और पुल का निर्माण किया। मगर आज भी काफी लोग इस जर्जर अवस्था में पड़े पुल से ही गुजरते है। कुंभ मेले से पहले सभी पुलो का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है और इस पुल पर भी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है। मगर मरम्मत से पहले ही पुल पर रंगाई पुताई का कार्य किया गया और उसके बाद मरम्मत की जा रही है।
पुल की मरम्मत करने वाले मजदूरों का कहना है कि, पुल पर मरम्मत कराने से पहले पेंट कराया गया है। इससे काफी दिक्कत आ रही है। पुल पर ज्यादा टूटी हुई रेलिंग को हमारे द्वारा रिपेयर किया जा रहा है। इससे पुल की मजबूती नहीं होगी, सिर्फ यह काम चलाऊ ही कार्य है। हमारे द्वारा ठेकेदार को कहा गया था कि, इस पुल पर लोहे की रेलिंग कराई जाए या जाली लगाई जाए, तभी पुल को मजबूती मिलेगी। इस पुल की रेलिंग को लोग पकड़ कर नहीं चल सकते टूटने का खतरा बना रहेगा।
वहीं कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत इस पुल को काफी महत्वपूर्ण मान रहे हैं। मगर इस पुल की मजबूती के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि, ललतारा पुल पर तीन कार्य किए जाने हैं। पुल की सुंदरता के लिए पेंटिंग की जानी है। सुरक्षा को देखते हुए पुल पर कई कार्य किए जाने हैं और एचआरडीए के माध्यम से पुल पर लाइटिंग भी की जानी है। क्योंकि जो भी हरिद्वार मेंं श्रद्धालु आता है, उसे इस पुल से गुजरना होता है।
बताना जरूरी होगा कि, कुंभ 2010 में इस पुल पर रेलिंग के कारण ही काफी लोगों की जान गई थी। क्योंकि भारी भीड़ होने के कारण रेलिंग पर काफी दबाव बना था और वह जगह-जगह से टूट गई थी, मगर मेला प्रशासन द्वारा उस घटना से सबक न लेकर पुल पर पुताई लाइटिंग और सिर्फ मरम्मत का कार्य किया जा रहा है और यह एक बड़े हादसे को दावत दे सकता है। क्योंकि जिस तरह से पुल पर मरम्मत का कार्य किया जा रहा है, वह भी निंदनीय है। क्योंकि पहले पुल पर पुताई की गई और उसके बाद पुल की मरम्मत की जा रही है। क्योंकि वहां कार्य कर रहे मजदूर भी इस पुल की रेलिंग को कमजोर बता रहे हैं। अब देखना होगा मेला प्रशासन इस तरफ कितना ध्यान देता है।