गौ सेवा के नाम पर सरकारी धन की बंदरबांट
रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। नगर निगम में गौ सेवा के नाम पर कई संस्थाएं सक्रिय हैं। कई संस्थाएं लॉकडाउन के दौरान कुकुरमुत्ते के समान आई और गायब हो गई। वर्तमान में सिद्धबली मंदिर समिति द्वारा सत्तीचौड में संचालित गौशाला, आकृति प्राणी सेवा संस्थान की मोटाढांग स्थित निजी गौशाला तथा इसी संस्था को नगर निगम कोटद्वार द्वारा वित्त पोषित काशीरामपुर की गौशाला व मुक्तिधाम में श्री गोपाल गौ सेवा सदन गौशाला आवारा पशुओं को संभालने का कार्य कर रही हैं। इनमें कुछ गौशालाएं राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण विवादों का कारण बनी हैं। सबसे ज़्यादा आरोप नगर निगम द्वारा वित्त पोषित काशीरामपुर तल्ला स्थित गौशाला पर धन का दुरुपयोग करने का लगा है। नगर निगम की इस गौशाला को संचालित करने वाली संस्था को भाजपा बत्ती धारी से लेकर कांग्रेस के पूर्व मंत्री से लेकर वर्तमान मेयर और पार्षदों का आशीर्वाद तक शामिल हैं।
नगर निगम की गौशाला में उगी झाडी घास
बताते चलें कि कोटद्वार नगर निगम के अंतर्गत नगर निगम द्वारा संचालित और वित्त पोषित काशीरामपुर तल्ला में गौशाला २०१८-१९ में कोटद्वार की एक निजी संस्था आकृति प्राणी सेवा संस्थान को दिया गया था, जिसमें काफी राजनीति हुई थी। पूर्व मंत्री और वर्तमान मेयर के आशीर्वाद से इस संस्था को पशु सेवा का कार्य सौंपा गया, परंतु जब से गौशाला संचालित है तब से आज तक गौशाला में इक्का-दुक्का पशु ही रखे गए। उसमें से भी वहां पर केवल गोवंश के नाम पर गायों को ही रखा गया। जबकि उक्त पशुशाला के लिए आवारा पशुओं का गाय, सांड हो बैल हो या गधा हो सबको रखना अनिवार्य था, लेकिन संस्था संचालकों और प्रबंधकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर केवल गाय को ही वहां पर रखा जाने लगा।
जब काफी हो हल्ला हुआ तो वहां पर पशु रखना ही बंद कर दिया। इसी संस्था को पूर्व मंत्री द्वारा अपने कांग्रेसी कार्यकाल में 3 बीघा भूमि बीमार और आवारा पशुओं की सेवा के लिए मोटाढांग में सिद्धबली को दी गई, लेकिन संस्था द्वारा वहां पर भी केवल गोवंश में गाय को ही रखा जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त संस्था को लाखों रुपए की सहायता राशि नगर निगम, सरकार और भाजपा के वर्तमान गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष द्वारा मदद पहुंचाई गई है। परंतु लाखों की मदद के बावजूद भी संस्था द्वारा आवारा पशुओं को उक्त गौशाला में स्थान नहीं दिया जा रहा है। यही नहीं संस्था द्वारा शहरों में जगह-जगह गौ सेवा के लिए दान पेटी भी लगाई गई है।
कोटद्वार में 1996 से एक संस्था श्री गोपाल गो सेवा धाम के नाम से मुक्तिधाम में भी काम कर रही है उक्त संस्था को न तो कोई सरकारी मदद मिलती है और न ही नगर निगम कोई आर्थिक सहायता प्रदान करता है। यही नहीं 48 गोवंश की क्षमता वाले इस गौ सेवा सदन में वर्तमान में 80 से ज्यादा गोवंश गाय बछड़ा बैल और सांड भी मौजूद हैं। लेकिन कुछ पार्षदों द्वारा इस गौशाला को हटाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। गलत ढंग से भूमि आवंटन के नाम पर गौशाला को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि संस्था के घोषणा पत्र में साफ रुप से लिखा है कि, जब तक गौशाला संचालित है तब तक ही भूमि में गौशाला का संचालन होगा, उसके बाद भूमि नगर पालिका/निगम की होगी।
लेकिन दिसंबर माह में नगर निगम की बोर्ड बैठक में उक्त गौशाला संचालकों द्वारा गौशाला की भूमि के नियमित करने के प्रस्ताव को बोर्ड द्वारा ध्वनिमत से प्रस्ताव भी पारित कर गिरा दिया गया है। जबकि उक्त गौशाला का पूरा प्रबंधन कर्मचारियों के खर्च से लेकर गोवंश पर होने वाला खर्च संस्था द्वारा वहन किया जा रहा है। यही नहीं नगर निगम के कुछ पार्षदों की राजनीति का मोहरा बना यह गौशाला कई पशुओं के लिए मुसीबत भी बन सकता है, वहीं कई लोग बेरोजगार भी हो सकते हैं। जबकि नगर निगम द्वारा संचालित गौशाला में कोई पशु होने की बात न तो बोर्ड में उठाई गई और उक्त गौशाला को सरकारी धन दिए जाने की न तो कोई जांच की बात पार्षदों द्वारा उठाई गई। लगता नगर निगम के पार्षदों को नगर निगम मे सही काम करना अच्छा नहीं लगता। यही नहीं उक्त गौशाला संचालक को जो मोटाढांग में जमीन दी गई है वह भी सरकारी है उस पर भी किसी पार्षद द्वारा उंगली ना उठाना पार्षदों की मंशा पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है।
गौशाला को लेकर जो राजनीति और पैसे की बंदरबांट की जा रही है। वह कोटद्वार नगर निगम के ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के लिए तो मुसीबत बनी ही है। वहीं शहर में यातायात को बाधित करना आम जनमानस को कई बार घायल कर देना तथा जगह-जगह इनको आवारा पशुओं के द्वारा गंदगी का अंबार लगा देना आम बात हो गई है। अब देखना यह है कि, नगर निगम के पार्षद अधिकारी और मेयर नगर निगम द्वारा संचालित गोशाला गौ सेवा पर और क्या कदम उठाता है, तथा गौशाला को दी गई वित्तीय मदद की जांच करवाता है या मिल बांट कर उस धनराशि को बिना हाजमे की गोली के हजम कर जाता है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा! हस्तक्षेप की टीम को कुछ पशु प्रेमियों द्वारा बताया गया कि, सरकारी नगर निगम की गौशाला पर नगर निगम बोर्ड के मेयर, पूर्व मंत्री, कांग्रेसी पार्षद कुछ ज्यादा ही मेहरबान है।
इतना ही नहीं भाजपा के लाल बत्ती धारी और गौ सेवा संस्थान के उपाध्यक्ष पंडित राजेंद्र अंथवाल भी इस गौ सेवा सदन पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान नजर आते हैं। क्योंकि इनके द्वारा भी लाखों की मदद इस संस्था को दी गई है। वह भी बिना जांचे परखे क्या यह लाल बत्ती धारी अभी भी इस संस्था को अपना बताएंगे या दी गई मदद की जांच करवा कर कुछ कार्यवाही करवाएंगे? कोटद्वार में नगर निगम के कुछ सामाजिक संगठन अब इस बात को लेकर सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। कुछ धरना प्रदर्शन के मूड में जिससे कि उक्त संस्था को नगर निगम द्वारा जांच के दायरे में लाया जा सके और सही-सही जानकारी कोटद्वार के आम जनमानस को दी जा सके। व सही जानकारी लोगों तक पहुंचाएं और इस काम के लिए नखासी जांच-पड़ताल कर इस खबर को जनता के सम्मुख लाने का प्रयास किया है।