हरिद्वार में नहीं दिखा भारत बंद का कुछ खास असर। राजनीतिक दलों ने दिखाया अपना विरोध

हरिद्वार में नहीं दिखा भारत बंद का कुछ खास असर। राजनीतिक दलों ने दिखाया अपना विरोध

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कृषि कानूनों के खिलाफ आज भारत बंद के दौरान हरिद्वार के तमाम बाजार खुले रहे, हरिद्वार में भारत बंद का कोई असर देखने को नहीं मिला। मगर तमाम राजनीतिक दलों द्वारा कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया और बाजारों में जाकर लोगों से अपील की गई कि, वह भी किसानों के साथ आकर अपने दुकानों को बंद रखें। मगर उसके बावजूद भी हरिद्वार की तमाम दुकानें सुबह से ही खुली हुई है। कांग्रेस द्वारा भारत बंद का पूर्ण समर्थन किया जा रहा है और कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी के आह्वान पर पूरे देश में कांग्रेस के कार्यकर्ता आज सड़कों पर है। हरिद्वार में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा इस कृषि कानूनों के खिलाफ ट्रैक्टर-ट्रॉली ऊपर बैठकर विरोध जताया और बाजारों में जाकर लोगों से अपनी दुकानें बंद करने की अपील की तो वहीं केंद्र सरकार का पुतला भी दहन किया।

हरिद्वार में भारत बंद को लेकर पुलिस और प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहे, खुफिया विभाग को भी सक्रिय किया गया। किसान संगठनों से जुड़े लोगों के साथ ही नेताओं पर भी पुलिस द्वारा निगरानी रखी जा रही है। पुलिस ने पूरे हरिद्वार को 7 सुपर जोन 17 जोन और 71 सेक्टरों में बांटा है। कांग्रेस कार्यकर्ता आज जटवाड़ा पुल पर एकत्र होकर रैली के रूप में तमाम बाजारों में गए और लोगों से अपील की कि, वह अपनी दुकानें बंद रखे। मगर हरिद्वार में भारत बंद का असर देखने को नहीं मिला। कांग्रेस के पूर्व राज्य मंत्री संजय पालीवाल का कहना है कि, पूरे देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसान कानून को लेकर इतनी ठंड में किसान दिल्ली की सड़कों पर बैठे हुए हैं। इसको देखते हुए हमारी राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने निर्देश दिया कि, पूरे भारत में किसानों के साथ कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर इस कानून की लड़ाई लड़े। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आह्वान पर आज कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर है।

इनका कहना है कि, किसानों पर लाठियां चलाई जा रही है। और वार्ता के नाम पर उनका बेवकूफ बनाया जा रहा है। किसान अगर जाग गया और अगर एक साल खेती नहीं की तो देश भुखमरी की कगार पर आ जाएगा। किसान इस कानून का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि उनको इस कानून की जरूरत नहीं है। अगर मोदी सरकार इस कानून को वापस नहीं लेती है तो कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ने को तैयार है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरीश कुमार का कहना है कि, किसान अन्नदाता है। अगर गांव में पैसा होता है, तो शहर में पैसा आता है और सामान बिकता जाता है। किसान और व्यापारी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए किसानों का व्यापारियों को समर्थन करना चाहिए। सरकार अगर लोकतंत्र में विश्वास रखती है, तो किसानों से वार्ता करके इस समस्या का हल निकालना ही पड़ेगा।

आज भारत बंद का हरिद्वार में असर देखने को नहीं मिला। मगर तमाम राजनीतिक दल द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों से वार्ता भी की जा रही है। मगर अभी तक वार्ता सफल नहीं हो पाई है। अब देखना होगा किसान द्वारा किए जा रहे इस आंदोलन का क्या रूप होता है। क्योंकि राजनीति दल अब इस मामले में कूद गए हैं और इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।