वन प्रभाग ने बमशक्कत गुलदार को ट्रैकुलाइज पिंजरे में कैद कर चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर छोडा
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। धर्मनगरी से राजाजी नेशनल पार्क से सटे पुराना इंडस्ट्रियल एरिया में आज उस समय हड़कंप मच गया, जब राजजी पार्क से बाहर निकल एक गुलदार ने क्षेत्र में दस्तक दी। पुराना इंडस्ट्रियल एरिया क्षेत्र में मंदिर में यह गुलदार काफी देर तक चहल कदमी करता रहा, क्षेत्र में बेरोकटोक गुलदार को घूमता देख स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल बन गया। आनन-फानन में स्थानीय लोगों द्वारा गुलदार की सूचना वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को दी गई। मौके पर पहुंचे विभागीय अधिकारियों द्वारा काफी मशक्कत के बाद गुलदार को ट्रैकुलाइज कर पिंजरे में कैद किया गया। जिसके बाद गुलदार को चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर ले जाया गया। रेस्क्यू सेंटर में गुलदार का मेडिकल प्रशिक्षण कर गुलदार को वापस जंगल में चहल कदमी के लिए विभाग द्वारा छोड़ दिया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम में गनीमत यह रही कि, स्थानीय लोगों को किसी भी तरह की जान माल की हानि नही हुई।
रिहायशी इलाके में चहल कदमी कर रहे गुलदार का रेस्क्यू करने मौके पर पहुंचे वन विभाग के रेंज अधिकारी दिनेश नौडियाल का कहना है कि, आज सुबह के समय स्थानीय लोगों द्वारा क्षेत्र में गुलदार के विचरण करने की सूचना वन विभाग को दी गई थी, यह क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा हुआ क्षेत्र है। जिस कारण गुलदार जंगल से निकलकर इस क्षेत्र में आ गया है। इस गुलदार का रेस्क्यू करने के लिए हमारे द्वारा सभी रेस्क्यू दलों को मौके पर बुलाया गया और सभी तरह के रेस्क्यू इंतजाम करने के बाद गुलदार को ट्रैकुलाइज कर गुलदार का सफल रेस्क्यू किया गया है। फिलहाल गुलदार को चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया जा रहा है। क्षेत्र में जंगली जानवरों को आने से रोकने के लिए विभाग द्वारा व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। आस-पास और ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग द्वारा सोलर फेंस लगाया गया है। विभाग द्वारा व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है ताकि जंगली जानवरों को इलाके में आने से रोका जा सके।
वही इस गुलदार को ट्रेंकुलाइज करने मौके पर पहुंचे डॉ अशोक ध्यानी का कहना है कि, इस गुलदार की उम्र करीब 4 से 5 वर्ष है और यह एक मादा गुलदार है। फिलहाल हमारे द्वारा इस मादा गुलदार को इंजेक्ट कर बेहोश किया गया है। चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर ले जाने के बाद इस गुलदार को होश में लाने की दवाई दी जाएगी। वही इस गुलदार के अन्य मेडिकल परीक्षण भी रेस्क्यू सेंटर में किए जाएंगे। ट्रेंकुलाइज करने वाली टीम का कार्य करीब आधे से 1 घंटे का होता है, जिसमें जंगली जानवर को बेहोश कर पकड़ा जाता है।
बताना जरूरी होगा कि, गुलदार के रिहायशी इलाके में आने से जहां लोगों में दहशत का माहौल बन गया तो वहीं सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को घंटों की मशक्कत के बाद इस मादा गुलदार को पकड़ने में सफलता हाथ लगी। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान गनीमत यह रही कि, इस घटना में कोई जान और माल की हानि नहीं हुई। वही वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारी जंगली जानवरों को रिहायशी इलाके में आने से रोकने में एक बार फिर नाकाम साबित हुए हैं और इस घटना से विभाग द्वारा किए जाने वाले बड़े-बड़े दावे हवा हवाई नजर आए।