कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाएगा कुंभ
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। कोरोना महामारी को देखते हुए आगामी कुंभ का स्वरूप क्या होगा यह तो अभी कोई भी बताने में सक्षम नहीं है। मगर जिस तरह से कोरोना महामारी का प्रकोप एक बार फिर से देश में बढ़ रहा है उससे लगता नहीं है कि, आने वाले कुंभ मेले को भव्य तरीके से मनाया जा सकेगा। कुंभ में लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु और संत महात्मा गंगा स्नान करते हैं, मगर इस बार कोरोना महामारी की वजह से कुंभ मेले में स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं और साधु संतों की भारी भीड़ देखने को ना मिले। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि भी इस बार कुंभ मेले में प्रतीकात्मक स्नान करने की बात कर रहे हैं और इन्होंने तो यहां तक कह दिया कि यदि हम जीवित रहेंगे तभी तो पेशवाई और कुंभ के स्नान की परंपरा का पालन करेंगे।
वही हरि गिरि का कहना है कि, इस बार अखाड़ों द्वारा पंडालों की व्यवस्था नहीं की गई है। क्योंकि सरकार से हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया था और जो भी साधु संत बाहर से आयेगे उनके ठहरने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी और जो अखाड़ों के साधु संत है वह अखाड़ों में ही रहेंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरि का यह भी कहना है कि, कुंभ मेले को देखते हुए पहले यह था कि कोरोना महामारी की वजह से कोई विकास का कार्य ना रुके उस पर चिंतन था और आखिरी निकले हैं की कोरोना महामारी को देखते हुए हरिद्वार में 2021 में होने वाला कुंभ मेला प्रतीकात्मक होगा। साधु संत कुंभ मेले में प्रतीकात्मक स्नान करेंगे 13 अखाड़ों के 26 साधु प्रतीकात्मक स्नान करने जाएंगे और सामाजिक दूरी का पालन करेंगे भारत सरकार राज्य सरकार और मेला अधिकारी के जो निर्देश होंगे कोरोना संक्रमण देखते हुए उनका पालन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हमारे द्वारा लिख कर भी दिया गया है। इसको लेकर किसी भी अखाड़ों में मतभेद नहीं है। मगर एक चिंता का विषय है कि, कुंभ मेले को शिविर और टेंट के नाम से जाना जाता है। क्योंकि सन्यासी अखाड़े और वैष्णव अखाड़े, अखाड़ों से बाहर लगाते थे, मगर कोरोना महामारी को देखते हुए शासन और मेला प्रशासन ने आग्रह किया की इस बार शिविर और टेंट ना लगाए जाए। इस पर हमारी सरकार से वार्ता हुई और सरकार ने निर्णय लिया कि कुछ आश्रमों को अधिकृत करके उनके रहने की व्यवस्था सरकार करेगी और जिन साधु-संतों के अपने आश्रम है और परिचित है वह वहां पर ठहरेंगे और जो भी सुख सुविधा है उनको सरकार देने का प्रयास करेगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरी गिरी का कहना है कि, यदि हम जीवित रहेंगे तभी तो पेशवाई और कुंभ के शाही स्नान की परंपरा का पालन करेंगे जब हम नहीं रहेंगे तो किस परंपरा का पालन करेंगे। इसलिए कुंभ मेले में जहां दो लाख आदमी एक साथ स्नान करने जाते थे हो सकता है कि इस बार दो ही आदमी स्नान करने जाए। यह संभव हो सकता है कुंभ और कोरोना को देखते हुए वहीं निर्णय लिया जाएगा, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार और मेला अधिष्ठान देगा।
देशभर में एक बार फिर से बढ़ रहा कोरोना महामारी का प्रकोप आने वाले कुंभ मेले पर भी अपना प्रभाव दिखा रहा है और इसी को देखते हुए अब साधु संत भी कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रूप से मनाने की बात कर रहे हैं। साधु संतों का कहना है कि, जब हम जीवित रहेंगे तभी अपनी परंपराओं को मना सकेंगे। अगर जीवित ही नहीं रहे थे तो कैसे अपनी परंपरा को मनाएंगे संतों को भी अब लगने लगा है कि, इस बार का कुंभ प्रतीकात्मक रूप से ही मनाया जाएगा। भारी संख्या में ना तो श्रद्धालु और ना ही साधु संत गंगा में स्नान करेंगे और जो भी भारत सरकार की गाइडलाइन होगी उसका पालन किया जाएगा। अब देखना होगा आने वाले कुंभ का स्वरूप क्या होगा? क्योंकि कोरोना महामारी का एक बार फिर से प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है।