उत्तराखंड बना जैविक एक्ट लाने वाला देश का पहला राज्य
– डॉ राजेन्द्र प्रसाद कुकसाल
जैविक कृषि विधेयक-2019 विधानसभा में पारित होने के साथ ही उत्तराखंड जैविक एक्ट लाने वाला देश का पहला प्रदेश बन गया है। हालांकि, सिक्किम पहला जैविक राज्य है, लेकिन वहां ‘एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर इनपुट एंड लाइवस्टॉक फीड रेगुलेटरी एक्ट-2014’ के तहत कदम उठाए गए। उत्तराखंड में जैविक खेती की संभावनाओं को देखते हुए इस दिशा में वर्ष 2003 से ही प्रयास शुरू हो गये थे। दिनांक 01अप्रेल, 2003 को तत्कालीन प्रमुख सचिव एवं आयुक्त, वन एवं ग्राम्य विकास उत्तराखंड शासन की अध्यक्षता में आयोजित जैविक कृषि से संबंधित बैठक का आयोजन किया गया। उत्तरांचल शासन, कृषि एवं कृषि विप्पन अनुभाग, संख्या – 517/कृषि/2002-2003 दिनांक 05 अप्रेल 2003 को उक्त बैठक की कार्यवृत्त जारी हुई।
बैठक में निर्णय लिया गया कि, प्रदेश के वर्षा आधारित पर्वतीय क्षेत्र में शत् प्रतिशत जैविक कृषि का कार्यक्रम अपनाया जाय तथा मैदानी क्षेत्रों में कृषकों को जैविक कृषि वैकल्पिक रूप में अपनाने हेतु प्रेरित किया जाय।प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने हेतु लगातार प्रयास होते रहे जिनके आधार पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वर्ष 2017 में केदारनाथ यात्रा के दौरान उत्तराखंड प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने की घोषणा की गयी, इसी को पूर्णरूप देने हेतु परम्परागत कृषि विकास योजना राज्य में प्रारंम्भ की गई। पारम्परिक कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य लघु एवं सीमांत श्रेणी के पर्वतीय एवं वर्षा पर आधारित क्षेत्र के कृषकों की आर्थिक मदद कर स्थानीय परम्परागत फसलों को जैविक मोड़ में लाकर कृषकों की आय बढ़ाना, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके।
इस योजना में क्लस्टर मोड पर ऑर्गेनिक कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से धनराशि किसानों को दी जाती है, जो तीन वर्षों के लिए देय होती है। योजना में डीबीटी ( सीधे कृषक के खाते में ) के माध्यम से निवेशों हेतु प्रोत्साहन धनराशि 10,000/ है। कृषकों को देने का प्राविधान है। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को सहभागिता प्रतिभूति प्रणाली यानी पीजीएस ( पार्टिसिपेट्री गारंटी सिस्टम ) और क्लस्टर पद्धति से जोड़ा गया है। पीजीएस में लघु जोत किसान या उत्पादक एक-दूसरे की जैविक उत्पादन प्रक्रिया का मूल्यांकन, निरीक्षण व जांच कर सम्मिलित रूप में पूरे समूह की कुल जोत को जैविक प्रमाणीकृत करने का प्राविधान हैं।
कृषि निदेशालय उत्तराखंड, देहरादून के पत्रांक- कृ०नि०/25/जैविक/ पी०के०वी०वाई०/2020 – 21/देहरादून दिनांक 09 अप्रेल 2020 के द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना 2019-20 हेतु भारत सरकार द्वारा प्रथम किस्त के रूप में रु० 3550.53 लाख की धनराशि अवमुक्त की गई है। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत राज्य में औधोगिक विकास के लिए उद्यान विभाग को 1,241 क्लस्टर विकसित करने का जिम्मा सौंपा गया है। इनमें 1,206 औद्यानिकी और 35 जड़ी-बूटी के क्लस्टर हैं। वर्ष 2018-19 से पीकेवीवाई में उद्यान विभाग को अब तक 40.27 करोड़ की धनराशि जारी की जा चुकी है।
शासन द्वारा विभागों को समय-समय पर स्वयं सहायता समूहों से कम्पोस्ट खाद केचुएं की खाद बनाने व योजनाओं में उन्हें क्रय करने तथा स्थानीय उत्पादों के जैविक बीज उत्पादन हेतु निर्देश दिए जाते रहे हैं। उद्यान विभाग द्वारा जैविक खेती के नाम पर आवंटित बजट से केवल और केवल टेंडर प्रक्रिया से निम्न स्तर के फल पौध, बीज दवा , खाद व अन्य सामग्री क्रय कर किसानों को बांटा है। किसानों से स्वयं जैविक बीज खाद व कीट व्याधि नाशक दवाओं के उत्पादन हेतु कभी भी प्रेरित नहीं किया गया और न ही उन्हें इस कार्य हेतु प्रोत्साहन धनराशि उपलब्ध कराई गई।