तीर्थ पुरोहित समाज ने की गंगा में बैठकर रक्षा सूत्र की विशेष पूजा। युवाओं ने भी किया प्रतिभाग
– रक्षा सूत्र करता है ब्राह्मण समाज की पूरे साल रक्षा
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती है और भाई अपनी बहन की हमेशा रक्षा करने का वचन देता है। मगर हरिद्वार में तीर्थ पुरोहितों द्वारा रक्षा सूत्र की विशेष पूजा की जाती है और इस रक्षा सूत्र को तीर्थ पुरोहित समाज के लोग पूरे साल धारण करते हैं और इससे उनकी रक्षा भी होती है। इस रक्षा सूत्र की गंगा के अंदर खड़े होकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन पुरोहित समाज अपने पितरों का दर्पण करते हैं और उनकी मोक्ष की मां गंगा से कामना करते हैं। इस पूजा में तीर्थ पुरोहित समाज का युवा वर्ग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है।
आखिर क्यों की जाती है रक्षा सूत्र की पूजा !
धर्म नगरी हरिद्वार में रक्षाबंधन के साथ यहां के तीर्थ पुरोहितों द्वारा श्रावणी उपाक्रम का त्योहार भी मनाया गया।इस दिन सभी तीर्थ पुरोहित कई घंटो तक एक साथ गंगा में खड़े होकर मंत्रोच्चारण और पूजा पाठ करते है। मान्यता है कि, श्रावणी उपाक्रम वाले दिन तीर्थ पुरोहितों द्वारा गंगा में सामूहिक स्नान और पूजा पाठ करने से जग का कल्याण और समस्त पापो का विनाश होता है। सामूहिक स्नान के दौरान सभी युवा और बुजुर्ग संकल्प लेकर रक्षा सूत्र की पूजा भी करते है।
तीर्थ पुरोहित श्रीकांत वशिष्ठ का कहना है कि, रक्षाबंधन पर्व सारणिक पर्व है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार आज के दिन ब्राह्मण समाज द्वारा इस पर्व को हिमाद्री संकल्प के साथ प्रारंभ किया जाता है। सभी तीर्थ पुरोहित अपने पितरों का दर्पण और गंगा में स्नान करते हैं। गंगा में बैठकर पहले संकल्प लिया जाता है। क्योंकि गंगा को हम मां मानकर इस कार्य को करते हैं। इस कार्य में युवा भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और उनमें इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है। इस पूजा में जन्म और रक्षा की पूजा की जाती है। जिसको हम पूरे वर्ष धारण करते हैं।
रक्षाबंधन के दिन तीर्थ पुरोहितों द्वारा की जाने वाली यह पूजा काफी विशेष होती है। क्योंकि श्राद्ध के बाद तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा अपने पितरों को आज के दिन ही दर्पण दिया जाता है और मां गंगा में घंटों बैठकर रक्षा सूत्र और सूर्य की पूजा की जाती है और यह परंपरा तीर्थ पुरोहित समाज में सदियों से चली आ रही है। इस कार्यक्रम में युवा वर्ग भी बड़ी संख्या में भाग लेकर पूरी विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं।