लॉकडाउन में सुपरवाइजर ने नगर निगम सफाईकर्मियों का काटा वेतन
– सुपरवाइजर पर रिश्वत मांगने का आरोप
रिपोर्ट- संजय भट्ट
देहरादून। कोरोना वायरस COVID-19 संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। उत्तराखण्ड में भी पिछले 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के दिन से लगातार लॉकडाउन का 32वां दिन है। लोग लॉकडाउन में समाजिक दूरी नियम के चलते अपने घरों में कैद हैं। पुलिस कर्मी, डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ व सफाई कर्मी ही घर से बाहर निकल कर जनता के लिए कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। कहीं लोग कोरोना वारियर्स सफाई कर्मियों पर फूल बरसा रहें हैं, कहीं नोटों व फूलों की माला पहना रहे हैं, तो कहीं पांव छू कर सफाई सैनिकों का सम्मान किया जा रहा है। वहीं सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते घर पर बैठे-बैठे निजी/प्राइवेट कर्मियों को वेतन देने का भी नियम बना दिया है। कोई भी अपने निजी कर्मी को वेतन नहीं देगा तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
नगर निगम देहरादून ने सफाई कर्मी को निकाला
ऐसे में आरोप है कि, राजपुर रोड अजंता होटल से किशनपुर में इंद्र सिंह मार्ग से होते हुए कैनाल रॉड से अजंता होटल तक के एरिया में तैनात नगर निगम सुपरवाइजर सोनू पाल उर्फ सोनू कुमार ने सफाई कर्मचारी शुभम को 7-8 अप्रैल को काम से निकाल दिया। सफाई कर्मचारियों ने बताया कि, सुपरवाइजर सोनू ने शुभम को राजपुर रोड सिल्वर सिटी से 2-3 किलोमीटर आगे किशनपुर के पास जा कर काम करने के लिए कहा। जब सफाई कर्मी शुभम ने कहा कि, उसके पास गाड़ी नहीं हैं, छुड़वा दीजिए तो उसके साथ गालीगलौज की गई व उसे काम से हटा कर घर भेज दिया गया। ऊपर अधिकारियों से बात करने के बाद अब शुभम को एक मई से वापस काम पर रखने की बात कही जा रही है।
सुपरवाइजर लेता है वेतन देने पर कमीशन
नगर निगम देहरादून के सफाई कर्मचारियों ने साफ आरोप लगाया कि, सुपरवाइजर सोनू वेतन देने के बदले हर सफाई कर्मी से 500-1000 रु कमीशन/रिश्वत लेता है। साथ ही 14 सफाई कर्मचारियों का वेतन भी काटा गया हूं। सफाई कर्मचारियों ने कहा कि, 7 बजे से एक बजे तक लॉकडाउन खुला है। घर मे बच्चे हैं ऐसे में उनकी जरूरत की आवश्यक सामग्री लेने के लिए कभी छुट्टी भी करनी पड़ती है। लेकिन सुपरवाइजर सोनू ने हमारी एक दिन से 21 दिन का वेतन काट कर हमें दिया है।
काम पूरा करने के बाद जाने पर भी अनुपस्थिति
सफाई कर्मियों ने बताया कि, लॉकडाउन के चलते सुबह 6 बजे भी बुला लिया जाता है और हम काम पर आते हैं। लेकिन 12 बजे तक ड्यूटी का समय होने पर यदि हम अपना काम निपटा कर 11 बजे भी घर जाते हैं तो सुपरवाइजर हमारी अनुपस्थिति लगा देता है। जिसकी तनख्वाह काट ली जाती है। वहीं दूसरों को 285 रु प्रति दिन मिलता है लेकिन सुपरवाइजर हमें 275 रु ही देता है। सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि, जिनका वेतन बैंक में आता हैं उन्हें 285 रु प्रतिदिन के हिसाब से वेतन मिलता है। जबकि हमें नगद 275 रु प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सभी कर्मचारियों के वेतन में से 10 रु प्रतिदिन के हिसाब से सुपरवाइजर लाखों रु हड़प चुका है।
बैंक से वेतन लिंक करने की मांग
नगर निगम देहरादून के सफाई कर्मचारियों ने बताया कि, उनकी नियुक्ति 01-1.5 साल से पहले नाला गैंग में हुई है। 40 सफाई कर्मियों में से 17 अभी राजपुर रोड पर सुपरवाइजर सोनू के साथ तैनात हैं। जबकि 10 अन्य को भी अब यहां सुपरवाइजर राजकुमार के पास से भेजा गया है। जब अन्य सफाई कर्मचारियों का वेतन नहीं काटा गया तो हमारे साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनका वेतन बैंक खातों में भेजा जाए ताकि सुपरवाइजर की मनमानी पर रोक लग सके। सफाई कर्मचारियों ने यह भी कहा कि, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ कहा है कि जो दुकान पर काम पर नहीं आ रहे हैं दुकान मालिक उनका भी पूरा वेतन देंगे। तो हमारे साथ यह अन्याय क्यों, हमें पूरा वेतन दिया जाए। मार्च 2020 का वेतन 14 अप्रैल को दिया गया वो भी काट कर।
हाथों में नहीं ग्लब्स, वर्दी के नाम पर हरे रंग का फटा हुआ चिथड़ा
सफाई कर्मचारियों के हाथों में ग्लब्स न होने पर जब उनसे पूछा तो उन्होंने बताया एक बार ग्लब्स दिए गए, रोज घण्टों काम करते हैं ऐसे में एक ग्लब्स कबतक चलेगा फट गया। बता दें कि, वर्दी के नाम पर उनके अपने कपड़ों के ऊपर एक हरे रंग का फटा हुआ चिथड़े उड़ा हुआ पतला जैकेट ही था। वैसे तो उत्तराखण्ड सरकार सफाई कर्मचारी की जगह पर्यावरण मित्र बोलती है। लेकिन अगर पर्यावरण मित्र कोरोना वारियर के साथ इस तरह से नाइंसाफी होती है तो कैसे भारत देश कोरोना के खिलाफ इस जंग को जीतेगा।