देहरादून। वैसे तो अक्सर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण सुर्खियों में रहता ही है। कभी अखबारों की हेडलाइंस बनता है तो कभी टीवी चैनलों की टीआरपी। क्योंकि अगर बात अवैध निर्माण की कहीं आती है तो सबसे पहले एमडीडीए का नाम ही हर जुबान से सुनाई पड़ता है। पिछले कुछ महीनों से देहरादून के एक प्रसिद्ब दैनिक समाचार पत्र की हेडलाइंस बन रहा प्राधिकरण और प्राधिकरण के आला अधिकारी। लेकिन फिर भी प्राधिकरण के कार्यों में कोई सुधार नजर नहीं आता। अगर देखा जाए तो अवैध रूप से हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए शासन प्रशासन का डंडा पूरे शहर भर में चला और लोगों के ठीयेे-ठिकाने हटाकर प्रशासन अधिकारियों ने अपनी पीठ खूब थपथपाई, पर क्या शासन और प्रशासन का डंडा सिर्फ उन गरीब जनता के लिए ही है या ऐसे बड़े बिल्डरों और भूमाफियाओं के लिए भी है, जो नियमों को ताक पर रखकर काम करते हैं।
अवैध काम को वैध कैसे किया जाए ? कैसे नियम कानून के साथ खेला जाए ? इन बिल्डरों को अच्छे से पता है। क्योंकि सिस्टम पर भारी अक्सर सिस्टम के भ्रष्ट अधिकारी ही होते है। इसलिए इन बिल्डरों के खिलाफ अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर पाते और आंखें मूंदे बैठे होते हैं। इनकी इन मुंदी आंखों की मंशा जब तक सिंघासन पर बैठे है तब तक अपनी जेबें भरना।साफ दिखाई पड़ता है।
यही एक वजह है जो इन्हें कार्यवाही करने से रोकती है। आपको बतादें एमडीडीए विभाग का निर्माण इस उद्देश्य के साथ हुआ था कि, शहर में हो रहे अवैध तरीके से निर्माण कार्य न हो सके, एक सोची समझी रणनीति के तहत शहर में सही तरीके से कार्य हो और एक सिस्टमेटिक तरीके से शहर को बसाया जा सके, जिससे भविष्य में शहर को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
लेकिन आज स्तिथि इसके बिल्कुल विपरीत है। शहर को बसाया तो जा रहा है लेकिन अधिकारियों के अपने तरीकों से जिससे शहर की सुंदरता और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंच रहा है। पिछले काफी समय से देखा जा रहा है कि भूमाफिया धीरे-धीरे प्राधिकरण की मदद से अपनी पैठ यहाँ बनाते जा रहे है। जिस पर सरकार भी कोई लगाम नहीं लगा पा रही है। और सरकार की इसी अनदेखी से सरकारी राजस्व को भी खासा नुक्सान पहुंच रहा है। फिलहाल हाल ही में दिल्ली निवासी ने एमडीडीए पर आरोप लगाया है कि एमडीडीए की मिली भगत से मसूरी रोड पर एक अवैध भवन निर्माण हुआ है। उनका कहना है कि जिस जमीन पर अवैध निर्माण हुआ है, उस जमीन को 2006 में उन्होंने ने एक डॉ दम्पत्ति से खरीदा था। जो कि मसूरी रोड पर है। खरीदी गई कुल भूमि 8 बीघा है। वहीं 2007 में पीड़ित ने प्रॉपर मोटेशन उस जमीन की करवा ली थी।
पीड़ित का कहना है कि, 2010 में वही के दो लोकल ठेकेदार उनके पास आए और ठेकेदारों ने उनसे कुछ पैसे लेकर कहा कि, दो तीन कमरे यहां आपके लिए बना देंगे जहां पहले छोटा सा स्ट्रक्चर बना हुआ था, उस वक्त जमीन के असल मालिक उन जालसाजों के जाल में फंस गए। दिल्ली के निवासी और उस जमीन के असली मालिक का कहना है कि,मेरे साथ इतने समय से ज्यादती हो रही है पिछले पांच-छह सालों से मैं प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहा हूँ लेकिन मेरी कोई मदद नहीं कि जा रही है, और किसी भी जगह से मुझे कोई मदद नहीं मिल रही है। मैंने पीएमओ में कंप्लेंट की, गवर्नर को पत्र लिखा, सीएम को पत्र लिखा, एमएलए को पत्र लिखा, सब जगह मदद की गुहार लगाई डीजीपी और एसआईटी में भी कंप्लेंट की लेकिन कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली ना हमारी कोई सुनवाई हो रही है और ना ही कोई आश्वासन मुझे मिला।