संपादकीय: देश भक्ति और नैतिक मूल्यों से लबरेज है भारतीय सेना

देश भक्ति और नैतिक मूल्यों से लबरेज है भारतीय सेना

 

वरिष्ठ पत्रकार- सलीम रज़ा….
देहरादून। ‘एक के सभी, सभी के लिए एक’’ ये आदर्श वाक्य है निःस्वार्थ बलिदान की भावना रखने वाली भारतीय सेना के, जो बगैर किसी भेदभाव के देश के नागरिकों की रक्षा में दिन-रात मुस्तैद रहती है। कैसी भी परिस्थितियां हों भारतीय सैनिक सरहद पर सजग प्रहरी की तरह दुश्मन की हर गतिविधियों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं। हम आप अपने घरों में बैठकर विलासिता के जीवन जीते हुये भारतीय सेना और सैनिकों के प्रति अपनी-अपनी थोथली दलीलों देते हैं। तो मन वयथित हो जाता है। जबकि आप जानते हैं कि, भारतीय सेना के सैनिकों का जीवन त्रासदियों से भरा हुआ होता है। क्योंकि सेना का हर सैनिक देश की हिफाजत करने के लिए अपने परिवार से दूर रहता है। हर साल मनाया जाने वाला सेना दिवस भारतीय सैनिकों के त्याग और कुर्बानी देने के लिए तत्पर रहने के लिए प्रेरणास्वरूप मनाया जाता है।

 

भारतीय सैनिक अनुशासित, अपराजित और निर्भीक राष्ट्रभक्त की एक जिन्दा मिसाल हैं। कठिन से कठिन हालातो और विषम जलवायु में उंची बर्फीली चोटियों पर जहां तापमान शून्य से बहुत ज्यादा नीचे होता है जिसमें शरीर और हडिडयां जमने लगें ऐसी सर्दी और दुर्गम घाटियों, घने जंगलों, रेगिस्तान असमान्य जल जीवन और जिस्म को जलाती गर्मी में भी देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ लुटा देने का जज्बा रखने वाले ये भारतीय सैनिक हमारे देश की आन्तरिक और वाहय सुरक्षा में मुस्तैद दिखते हैं। हम लोग जिन्होंने युद्ध या युद्ध जैसा माहौल ही नहीं देखा वो इन सैनिकों के लिए आम बात है। जहां देश में लोग धर्म और जात-पांत में उलझे रहते हैं वहीं सैनिको के लिए ये बात मायने नहीं रखती उनका एक ही मूल मंत्र है ‘यानि देश के हर नागरिक से जाति, धर्म भाई-चारे की भावना रखना होता है।

 

भारतीस थल सेना भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा हिस्सा है। भारती सेना का सबसे पहला मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता को सुनिश्चित करने का है, और देश को आन्तरिक खतरों और बाहरी हमले से बचाने के साथ अपनी सरहदों पर शान्ति और सुरक्षा बनाये रखना है। इतना ही नहीं जब-जब देश के अन्दर प्राकृतिक आपदा जैसी घटनायें घटित होती हैं, तो ये ही सैनिक बचाव अभियान भी चलाते हैं। उसके साथ ही देश के अन्दर पैदा हुए अनियंत्रित हालातों से निपटने के लिए भी सरकार सेना को बुला सकती है। वहां पर भी भारतीय सेना बड़ी तत्परता से अपना दायित्व का निर्वहन करती है। हम न जाने कितने ऐसे किस्से सैनिकों की शहादत के सुनते चले आये हैं और देख रहे है कि कितना बड़ा दिल होता होगा उन माता-पिताओं का जिनके लाल उनके सपनों को पूरा करने के लिए देश पर कुर्बान हो जाते हैं।

 

उन पत्नियों के पति धर्म को नमन जिन्हें ये भी नहीं मालूम होता कि, जिस घर में वे डोली में बैठकर आई हैं और अभी उनके हाथ की मेहन्दी भी धुली नहीं है। लेकिन सरफरोशी की तमन्ना लिए अपने पति की शहादत की खबर सुनकर उन्हें अपने हाथ की चूड़ियों को भी तोड़ना पड़ेगा। जो अपने पति के इन्तजार में खनकी नहीं थीं। उन बच्चों के आंसू पोछने के लिए कौन सा फौलाद का दिल लायें जो इस इन्तजार में थे कि, पापा अबकी हमारे जन्म दिन पर हमारे साथ होंगे। कैसे सिर पर हाथ रख कर ढ़ांढ़स बंधायें उन शहीदों की बहनों को जो इस इंतजार में रह गईं कि, अबकी छुटटी मिलने पर उनका भाई उनकी डोली को रूखसत करेगा। कलेजा फटने लगता है इन सब बातों को देखकर लेकिन सैनिकों की शहादत पर भी सियासत बहुत दुःखदायी होती है।

 

सच में सैनिकों के घर और परिवार देश और मानवता के लिए कभी न भूलने वाली और स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाने वाली मिसाल होते हैं। हमें अपनी सेना और सैनिकों पर नाज़ है। जिनकी बदौलत हमारा देश महफूज है। ये सैनिक के जीवन की गाथा है कि, जिस तिरंगे के नीचे वो देश की रक्षा का संकल्प लेता है और एक दिन उसी तिरंगे में लिपटकर शहीद कहलाता है। हमारे देश पर अपनी जान की बाजी लगाने वाले सैनिकों को शत-शत नमन जिनकी वजह से हम अपने घरों में महफूज रहकर अपनी खुशियों का साझा करते हैं। लेकिन अपने घर की खुशियों को साझा करने के लिए इन सैनिकों के पास वक्त नहीं होता। हम सच्चे दिल से इस बात का संकल्प लें कि, भले ही हम सरहद पर नहीं हैं। लेकिन इन सरहद के रखवालों के लिए और उनके परिवार के लिए रोज दुआ करें और अपनी सेना का मनोबल उंचा रखने के लिए देश हित में अपना योगदान दें। यही सेना का सम्मान और शहीद सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जय हिन्द