निर्देश: स्वीकृति किये 34 करोड़ रुपये परिवहन निगम को दे सरकार: हाईकोर्ट

स्वीकृति किये 34 करोड़ रुपये परिवहन निगम को दे सरकार: हाईकोर्ट

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोडवेज कर्मचारियों को निगम द्वारा पिछले छः माह से वेतन नहीं दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य सचिव, वित्त सचिव, परिवहन सचिव, महानिदेशक परिवहन, एडवोकेट जनरल और मुख्य स्थायी अधिवक्त उपस्थित हुए।

सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि, जो 34 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वीकृत किए हैं, उसको आज या कल तक निगम को दें।

साथ ही न्यायालय ने कर्मचारियों के भविष्य में वेतन दिए जाने पर कहा कि, एक पूरा प्रपोजल बनाकर आगामी केबिनेट मीटिंग में रखें, जिससे कि यह समस्या बार-बार न आने पाए।

खण्डपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि, सरकार को यह अधिकार नही है कि, वह कर्मचारीयो का वेतन रोके। यह संविधान के अनुच्छेद 14,19, 21और 300A समेत मानवाधिकार आयोग का खुला उल्लंघन है।

न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि, पूर्व में न्यायालय ने केंद्र सरकार के परिवहन मंत्रालय को निर्देश दिए थे कि, दोनों राज्यो के परिसंपत्तियों के बंटवारे के लिए दोनों राज्यो के मुख्य सचिवों के साथ बैठक कर निर्णय लें। परन्तु अभी तक उस पर कुछ भी नहीं हुआ।

कहा कि, तीन माह के भीतर दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिव बैठक कर इस मामले में निर्णय लें। उत्तराखंड को बने 21 साल होने को है, अभी तक बटवारा नही हो पाया है। जबकि अभी केंद्र व दोनों राज्यो में एक ही पार्टी की सरकार है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त की तिथि नियत की है।

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।

आज सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने परिवहन सचिव से पूछा कि “34 करोड़ रुपये आपको मिले या नही” जिस पर उनके द्वारा कोर्ट को बताया गया कि “अभी नही मिले” ।

सरकार ने 34 करोड़ रुपये जारी करने का जीओ पास कर दिया है, जिस पर कोर्ट ने आज या कल में सरकार से 34 करोड़ रुपये रिलीज करने को कहा।

सुनवाई के दौरान निगम की तरफ से कोर्ट के सम्मुख यह भी कहा गया कि, जब तक निगम की आर्थिक स्थिति ठीक नही हो जाती, तब तक कर्मचारीयो को 50% वेतन दिया जाए। जिस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि, सरकार को कोई अधिकार नही है कि वह कर्मचारीयो के वेतन में कटौती करें। यह उनको संविधान के अनुच्छेद 14,19,21, 300A मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट में उपस्थित आईएएस अधिकारियों का 50% वेतन की कटौती न करे दें। कर्मचारीयो की हालत बंधुआ मजदूर जैसी हो गयी है।

मामले के अनुसार उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है।

सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है, सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है, न उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है। उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है। रिटायर कर्मचारियों के देय कों भुगतान नहीं किया गया, यूनियन का सरकार व निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है, उसके बाद भी सरकार एस्मा लगाने को तैयार है।

साथ ही याचिका में कहा है कि, सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है, वहीं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी निगम को 700 सौ करोड़ रुपया देना है और ना तो राज्य सरकार निगम को उनका 45 करोड़ पर दे रही है ना ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपए मांग रही है, जिस वजह से निगम ना तो नई बसे खरीद पा रही है और ना ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं दे पा रही है। इधर लॉकडाउन से उनको फरवरी माह से वेतन तक नही दिया है।